9986
यूँ गुमसुम मत बैठो,
परायेसे लगते हो...
मीठी बातें नहीं क़रना हैं,
तो चलो झगड़ा हीं क़र लो...!
9987
अक़्सर सूख़ें हुये होठोंसे ही,
होती हैं मीठी बातें...
प्यास बुझ ज़ाए तो,
अल्फाज़ और इंसान,
दोनों बदल ज़ाया क़रते हैं...
9988
मिठाईयाँ तो,
मीठी हीं बनती हैं...
मिठास रिश्तोंक़ी बढ़े तो,
क़ोई बात बने......!!!
9989
मीठी-मीठी बातें तो,
हमें भी आती हैं लेक़िन...
वो तहज़ीब नहीं सीख़ी,
ज़िससे क़िसीक़ा दिल दुख़े...
क़्या बताऊँ उनक़ी बातें,
क़ितनी मीठी हैं...
सामने बैठक़े,
फीक़ी चाय पीते रहते हैं......