दर्द गूंज़ रहा दिलमें,
शहनाईक़ी तरह...
ज़िस्मसे मौतक़ी ये,
सग़ाई तो नहीं.......?
7587ज़नाज़ा रोक़क़र मेरा,वो इस अंदाज़से बोले...गली हमने क़हीं थी,तुम तो दुनिया छोड़े ज़ाते हो...
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तुम साथ हो ज़ब अपने ,
दुनियाक़ो दिख़ा देंगे...l
हम मौतक़ो ज़ीनेक़े,
अंदाज़ सिख़ा देंगे.......ll
हम मौतक़ो ज़ीनेक़े,
अंदाज़ सिख़ा देंगे.......ll
7589मौतने भी,ज़ानना चाहा मगर;ज़िन्दग़ानीक़ा भरम,ख़ुलता नहीं...llफ़िराक़ गोरख़पुरी
7590
दिलक़ो सुक़ून मिल ज़ाये,
ऐसी नींद ना आई क़भी l
ऐ मौत, अब तुझे...
आज़मानेक़ो ज़ी चाहता
हैं ll