2 June 2021

7586 - 7590 दिल दुनिया दर्द ज़िस्म सुक़ून ज़िन्दग़ानी अंदाज़ मौत ज़नाज़ा शायरी


7586
दर्द गूंज़ रहा दिलमें,
शहनाईक़ी तरह...
ज़िस्मसे मौतक़ी ये,
सग़ाई तो नहीं.......?

7587
ज़नाज़ा रोक़क़र मेरा,
वो इस अंदाज़से बोले...
गली हमने क़हीं थी,
तुम तो दुनिया छोड़े ज़ाते हो...

7588
तुम साथ हो ज़ब 
अपने ,
दुनियाक़ो दिख़ा देंगे...l
हम मौतक़ो ज़ीनेक़े,
अंदाज़ सिख़ा देंगे.......ll

7589
मौतने भी,
ज़ानना चाहा मगर;
ज़िन्दग़ानीक़ा भरम,
ख़ुलता नहीं...ll
फ़िराक़ गोरख़पुरी

7590
दिलक़ो सुक़ून मिल ज़ाये,
ऐसी नींद ना आई क़भी l
मौत, अब तुझे...
आज़मानेक़ो ज़ी चाहता हैं ll

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