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3 October 2018

3366 - 3370 उम्मीद दामन कामयाबी मुसीबत याद मतलब आदतें शौक ख्वाब दौर पत्थर हौसला शायरी


3366
उम्मीदोंका दामन थाम रहे हो,
तो "हौसला" कायम रखना...
क्योकि...
जब नाकामियाँ "चरम" पर हों,
तो "कामयाबी" बेहद करीब होती हैं...!

3367
मुझे किसीको मतलबी,
कहनेका कोई हक़ नहीं;
मैं तो खुद अपने रबको,
मुसीबतोंमें याद करता हूँ !

3368
आदतें खराब नहीं,
शौक बस ऊंचे हैं...!
वरना ख्वाबकी,
इतनी औकात नहीं,
कि हम देखें,
और पूरा हो.......!

3369
तारीख हजार सालमें,
बस इतनीसी बदली हैं...
तब दौर पत्थरका था,
अब लोग पत्थरके हैं...!

3370
कैसे कह दूँ कि,
थक गया हूँ मैं;
जाने किस-किसका,
हौसला हूँ मैं.......!