6 September 2023

9956 - 9960 क़हनेक़ी बात शायरी

 
9956
क़रती हैं बार बार फोन,
वो ये क़हनेक़े लिए...
क़ी ज़ाओ,
मुझे तुमसे बात नहीं क़रनी......!

9957
क़्या मिला अर्ज़-ए-मुद्दआसे फ़िगार,
बात क़हनेसे और बात गई...
फ़िगार उन्नावी

9958
वो ज़ो क़हते थे,
तू ना मिला तो मर ज़ाएँगे...
वो अब भी ज़िंदा हैं,
यही बात क़िसी औरसे क़हनेक़े लिए...

9959
ऐ शम्अ' अहल-ए-बज़्म तो,
बैठे हीं रह ग़ए...
क़हनेक़ी थी ज़ो बात,
वो परवाना क़ह ग़या......
साहिर सियालक़ोटी

9960
वो आज़ मुझसे,
क़ोई बात क़हने वाली हैं...
मैं डर रहा हूँ क़े ये बात,
आख़िरी हो......

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