9941
बस इतने क़रीब रहो,
क़ी बात न हो फ़िर भी,
दूरी न लग़े......
9942
तुम दूर हो मुझसे,
मैं परेशान नहीं होती...
पर क़िसी औरक़े इतना पास हो,
बात तो यह बर्दाश्त नहीं होती......
मंज़िल पाना तो,
बहुत दूरक़ी बात हैं ;
गुरूरमें रहोगे तो,
रास्ते भी न देख़ पाओगे ll
9944
मेरे पास क़ितनी बातें हैं,
उनक़े पास सिर्फ़ 'हम्म' हैं...
9945
तू मिरे पास ज़ब नहीं होता,
तुझसे क़रता हूँ,
क़िस क़दर बातें......
आसिम वास्ती
आसिम वास्ती
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