4 September 2023

9946- 9950 छोटी बड़ी बातोंक़ी शायरी

 
9946
बहुत छोटी हैं,
मेरे ख़्वाहिशोंक़ी बात...
पहली भी तुम और,
आख़री भी तुम......

9947
ज़िंदगीक़ा तजुर्बा तो नहीं
पर इतना मालूम हैं,
छोटा आदमी बड़े मौक़ेपर
क़ाम ज़ाता हैं ;
और बड़ा आदमी छोटीसी बातपर
औक़ात दिख़ा ज़ाता हैं !

9948
ज़ो हमारी छोटी छोटी बातोंपर,
ग़ुस्सा क़रते हैं...
बस वहीं हमारी सबसे ज़्यादा,
फ़िक़र क़रते हैं......

9949
नदी ज़ब क़िनारा छोड़ती हैं,
तो राहमें चट्टान तक़ तोड़ देती हैं...l
बात छोटीसी अगर चुभ ज़ाये दिलमें,
ज़िन्दगीक़े रास्तोंक़ो भी मोड़ देती हैं...ll

9950
ज़ब छोटे थे तब बड़ी बड़ी,
बातोमें बह ग़ए और...
ज़ब बड़े हुए तब छोटी-छोटी,
बातो में बिख़र ग़ए......

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