Showing posts with label दिल मोहोब्बत इश्क दर्द उधार खुशी हसीन आईना रिश्वत चेहरा इत्र शराब शायरी. Show all posts
Showing posts with label दिल मोहोब्बत इश्क दर्द उधार खुशी हसीन आईना रिश्वत चेहरा इत्र शराब शायरी. Show all posts

8 March 2018

2446 - 2450 दिल मोहोब्बत इश्क शोक बंदगी गम याद इत्तेफाक़ गली काम अक्सर महक बहक शायरी


2446
ना इश्कका शोक हैं,
न मोहोब्बत करते हैं...
खुदाके बन्दे हैं,
बस बंदगी करते हैं...
कभी गम हो तो,
हमें याद करना,
दर्द गिरवी रखते हैं,
और खुशी उधार देते हैं...।

2447
क्या हसीन इत्तेफाक़ था,
तेरी गलीमें आनेका....!
किसी कामसे आये थे, !
किसी कामके ना रहे....!!! 

2448
वो अक्सर मुझसे पूछा करती थी,
तुम मुझे कभी छोड़कर तो नहीं जाओगे...
आज सोचता हूँ.......,
कि काश मैने भी कभी पूछ लिया होता...

2449
आईना फिर आज,
रिश्वत लेते पकड़ा गया...
दिलमें दर्द था,
फिरभी चेहरा हँसता हुआ दिखाई दिया....!

2450
मिलावट हैं तेरे इश्कमें,
इत्र और शराबकी,
वरना हम कभी महक...
तो कभी बहक क्यों जाते।