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30 November 2017

2026 - 2030 प्यार जिन्दगी खिलौने नजरें बचपन सादगी ताल्लुक शराफत झलक नियत बेपर्दा लफ्ज़ खामोश शायरी


2026
मिट्टी भी जमाकी और
खिलौने भी बनाकर देखे...
जिन्दगी कभी ना मुस्काई
फिर बचपनकी तरह.......

2027
"नजरें झुका लेनेसे,
भला सादगीका क्या ताल्लुक,
शराफत तब झलकती हैं,
जब नियत बेपर्दा हो..."

2028
लफ्ज़ ही तो हैं...
थोड़े खर्च कर लो,
सबसे मीठे बोल बोलकर
ऐसे भी एक दिन,
खामोश तो हो ही जाना हैं...

2029
बड़े अनमोल हे ये खूनके रिश्ते,
इनको तू बेकार न कर...
मेरा हिस्सा भी तू ले ले भाई,
घरके आँगनमें दीवार ना कर...!

2030
आज मौसम कितना खुश गंवार हो गया,
खत्म सभीका इंतज़ार हो गया'
बारिशकी बूंदे गिरी कुछ इस तरहसे,
लगा जैसे आसमानको ज़मीनसे प्यार हो गया...