Showing posts with label अल्फ़ाज़ ज़रूरत हिसाब ख्याल तहाशा लफ्ज़ शायरी. Show all posts
Showing posts with label अल्फ़ाज़ ज़रूरत हिसाब ख्याल तहाशा लफ्ज़ शायरी. Show all posts

27 November 2016

786 अल्फ़ाज़ ज़रूरत हिसाब ख्याल तहाशा लफ्ज़ शायरी


786

Alfaaz, Words

अल्फ़ाज़ चुरानेकी,
ज़रूरत ही ना पड़ी कभी;
तेरे बे-हिसाब ख्यालोंने ,
बे-तहाशा लफ्ज़ दिए मुझे।


Stealing of Words
Was never the Need even,
Your Immense Thoughts has,
Given me Ample Words.