6006
कभी आँसू कभी सजदे,
कभी हाथोंका उठ जाना...
मुहब्बतें नाकाम होजाये तो,
रब बहुत याद आता हैं.......
हसरत अज़ीमाबादी
6008
यारब हुजूमे-दर्दको दे,
और वुसअतें...
दामन तो क्या,
अभी मेरी आँखें भी नम नहीं...
6007
याद-ए-माज़ी अज़ाब
हैं, यारब...
छीनले मुझसे हाफ़िज़ा
मेरा.......
अख़्तर अंसारी
यारब हुजूमे-दर्दको दे,
और वुसअतें...
दामन तो क्या,
अभी मेरी आँखें भी नम नहीं...
जिगर मुरादाबादी
6009
यारब, यह भेद क्या
हैं कि,
राहत फिक्रने इन्साँको,
और गममें,
गिरिफ्तार किया हैं...
जोश मल्सियानी
6010
मैं मसरूफ था बिरयानीके,
नुक्स निकालनेमें...
और वो सूखी रोटी के लिये,
मैं मसरूफ था बिरयानीके,
नुक्स निकालनेमें...
और वो सूखी रोटी के लिये,
रबको लाख शुकराना
दे गया...!