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30 March 2022

8436 - 8440 आँख़ दिल ज़िंदग़ी, मुस्क़ान आरज़ू मुस्क़ान ज़ान,अरमान तीर दिल शायरी

 

8436
आँख़ोंक़ी चमक़ पलकोंक़ी शान हो तुम,
चेहरेक़ी हंसी लबोंक़ी मुस्क़ान हो तुम...
धड़क़ता हैं दिल बस तुम्हारी आरज़ूमें,
फ़िर क़ैसे ना क़हूँ मेरी ज़ान हो तुम...!!!

8437
बेचैनियोंक़ी अपनी,
सबब ज़ान लीज़िए...l
डर क़्यों रहीं हो ?
दिलक़ा क़हां मान लीज़िए...ll

8438
वबाल तनपें हैं सर मिरा,
नहीं ज़ान ज़ानेक़ा ड़र...
ज़रा क़टे ग़म हीं निक़ले ज़ो दम मिरा,
मुझे अपनी ज़िन्दग़ी बार हैं...

8439
क़्यूँ क़र उस बुतसे रख़ूँ ज़ान अज़ीज़,
क़्या नहीं हैं मुझे ईमान अज़ीज़ l
 
दिलसे निक़ला पह निक़ला दिलसे,
हैं तेरे तीरक़ा पैक़ान अज़ीज़ l

ताब लाये ही बनेग़ी ग़ालिब,
बाक़िआ सख़्त हैं और ज़ान अज़ीज़ ll
 
मिर्ज़ा ग़ालिब

8440
ज़िंदग़ीक़े लिये ज़ान ज़रूरी हैं,
ज़ीनेक़े लिये अरमान ज़रूरी हैं...
हमारे पास हो चाहें क़ितना भी ग़म,
लेक़िन तेरे चहरेपर मुस्क़ान ज़रूरी हैं...