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15 August 2023

9871 - 9875 आरज़ू वक़्त मुक़र्रर बात मुलाक़ात शायरी


9871
ज़ी क़ी ज़ी हीं में,
रहीं बात होने पाई...
हैफ़ क़ि उससे,
मुलाक़ात होने पाई.......
                         ख़्वाज़ा मीर


9872
ज़ी भरक़े देख़ा,
क़ुछ बात क़ी...
बड़ी आरज़ू थी,
मुलाक़ात क़ी......
बशीर बद्र


9873
मुनहसिर वक़्त--मुक़र्ररपें,
मुलाक़ात हुई...
आज़ ये आपक़ी ज़ानिबसे,
नई बात हुई.......
                               हसरत मोहानी


9874
क़ैसे क़ह दूँ क़ि,
मुलाक़ात नहीं होती हैं l
रोज़ मिलते हैं मग़र,
बात नहीं होती हैं ll
अज्ञात


9875
ये मुलाक़ात,
मुलाक़ात नहीं होती हैं l
बात होती हैं मगर,
बात नहीं होती हैं ll
                      हफ़ीज़ ज़ालंधरी