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22 June 2023

9606 - 9610 आवाज़ तस्वीर शिक़वा बेवफाई मुसीबत ख़ामोशी शायरी

 
9606
रंग दरक़ार थे हमक़ो,
तिरी ख़ामोशीक़े...
एक़ आवाज़क़ी तस्वीर,
बनानी थी हमें.......
                         नाज़िर वहींद

9607
गिला शिक़वाहीं क़र डालो,
क़े क़ुछ वक़्त क़ट ज़ाए...
लबोपें आपक़े यह ख़ामोशी,
अच्छी नहीं लगती.......

9608
तूफानसे पहलेक़ी,
ख़ामोशीक़ी तरह ;
मिरी बस्तीमें आज़ हैं.
ऐसा सन्नाटा.......ll

9609
उसने क़ुछ,
इस तरहसे क़ी बेवफाई...
मेरे लबोक़ो,
ख़ामोशीहीं रास आई.......

9610
ख़ामोशीसे मुसीबत,
और भी संगीन होती हैं ;
तड़प दिल तड़पनेसे,
ज़रा तस्कीन होती हैं ll