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25 February 2017

1008 आसमां ढुँढ सपना ज़मीं जीने मज़ा कमी शायरी


1008
क्या खूब कहा हैं...
"आसमांमें मत ढुँढ अपने सपनोंको,
सपनोंके लिए तो ज़मीं जरूरी हैं,
सब कुछ मिल जाए तो जीनेका क्या मज़ा,
जीनेके लिये एक कमी भी जरूरी हैं l"