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28 October 2016

676 आसमान जमीन अंदाज जुदाई बिछड़ प्यास आँसू समंदर शायरी


676

Pyas, Thirst

आसमानवाले जमीनपर उतरकर देख,
होती हैं क़्या जुदाई, तू भी बिछड़कर देख...
हमारी प्यासका अंदाज भी अलग हैं दोस्तो,
कभी समंदरको ठुकरा देते हैं. . .
तो कभी आँसू तक पी जाते है. . .

Oh God, land on the Ground and see,
Experience the Separation !
The seance of my Thirst is different my Friend,
Sometimes I reject the the Ocean. . .
Sometimes drink own Tears. . .