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2 June 2020

5961 - 5965 इश्क़ बेरुखी गम ख़ुशी तनहा तलाश शायरी



5961
पहले जो था,
वो सिर्फ़ उनकी तलाश थी...
लेकिन जो उनसे मिलके हुआ हैं,
वो इश्क़ हैं.......!

5962
मैं कलको,
तलाशता रहा दिनभर...
और शाम होते होते,
मेरा आज डूब गया...

5963
ना ख़ुशीकी तलाश हैं,
ना गम--निजातकी आरज़ू...
मैं खुदसे नाराज़ हूँ,
तेरी बेरुखीके बाद.......

5964
खुबी और खामी,
दोनो होती हैं लोगोमें...
आप क्या तलाशते हो,
यह मायनें रखता हैं.......

5965
मैं तनहा हूँ,
मुझे तलाशता भी कौन...?
रोज खोता हूँ,
फिर खुदको ढूढ़ लाता हूँ...!