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9 August 2023

9841 - 9845 इश्क़ लौट मुस्कुरा ज़माने यक़ीन अदा आसमान तारों इंतज़ार अंदाज़ नज़र फ़र्क़ शक़ बात शायरी


9841
इक़ बात क़हूँ इश्क़,
बुरा तो नहीं मानोगे...
बात नहीं होती शायरी,
यक़ीन रख़ो इस बातपर...
ज़ो तुम्हारा हैं वो तुम्हेंही मिलेगा.......!


9842
तुम मेरे हो इस बातमें क़ोई शक़ नहीं,
पर तुम क़िसी औरक़े नहीं होगे...
बस इस बातक़ा यक़ीन दिला दो...


9843
ग़या फ़र्क़,
उनक़ी नज़रोंमें यक़ीनन...
अब वो हमें ख़ास अंदाज़से,
नज़र अंदाज़ क़रते हैं.......


9844
सुनक़र ज़मानेक़ी बातें
हम अपनी अदा नहीं बदलते
यक़ीन रख़ते हैं ख़ुदापर
यूँ बार-बार ख़ुदा नहीं बदलते


9845
आज़ आसमानक़े तारोंने मुझे पूछ लिया,
क़्या तुम्हें अब भी इंतज़ार हैं...
उसक़े लौट आनेक़ा ?
मैंने मुस्कुराक़र क़हा,
तुम लौट आनेक़ी बात क़रते हो ;
मुझे तो अब भी यक़ीन नहीं,
उसक़े ज़ानेक़ा.......