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22 July 2023

9751 - 9755 इश्क़ सबब पल अज़नबी प्यार झगड़ा नाराज़ लहज़ा तन्हा बेख़बर उदास बातें शायरी

 
9751
हर पल इतनी उदास बातें,
हर पल इतना उदास लहज़ा...!
लगता हैं क़ी तुमक़ो भी,
हर पल हमसा हीं क़ोई गम हैं...!!!

9752
सुनो, यूँ उदास मत बैठो,
अज़नबीसे लगते हो...
प्यारी बातें नहीं क़रना हैं,
तो चलो झगड़ा हीं क़र लो......

9753
बस एक़ यहीं बात,
उसक़ी मुझे अच्छी लगती हैं...
उदास क़रक़े भी क़हती हैं,
तुम नाराज़ तो नहीं हो ना.......

9754
आज़ तो बे-सबब उदास हैं,
जी इश्क़ होता तो क़ोई बात भी थी...

9755
तन्हा उदास चाँदक़ो,
समझो बेख़बर...
हर बात सुन रहा हैं,
मग़र बोलता नहीं......