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8 April 2022

8476 - 8480 इश्क़ इंतज़ार आशिक़ी आँख़ हसरत राहनुमा तज़ुर्बा ज़िंदग़ी रास्ता राहें शायरी

 

8476
आया हैं इक़ राहनुमाक़े,
इस्तिक़बालक़ो इक़ बच्चा ;
पेट हैं ख़ाली, आँख़में हसरत,
हाथोंमें ग़ुलदस्ता हैं.......
                         ग़ुलाम मोहम्मद

8477
तमाम रात मेरे घरक़ा,
एक़ दर ख़ुला रहा...
मैं राह देख़ता रहा,
वो रास्ता बदल ग़या...

8478
अनज़ानसी राहोंपर चलनेक़ा,
तज़ुर्बा नहीं था...
इश्क़क़ी राहने मुझे,
एक़ हुनरमंद राही बना दिया...

8479
राहमें ख़ड़े होक़र,
तेरा ही इंतज़ार क़िया हैं l
हमनें भी सनम तुमसे,
उतना ही प्यार क़िया हैं ll

8480
राहें तो बहुत थी ज़िंदग़ीमें,
हम ख़ो ग़ए इश्क़--आशिक़ीमें...
                                   महशर बदायुनी