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हर राज़ लिखा नहीं जाता...
कागज भी गद्दार होता हैं.......
7327मौत हैं वह राज़ जो,आखिर खुलेगा एक दिन;जिन्दगी हैं वह मुअम्मा,कोई जिसका हल नहीं...llअफसर मेरठी
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वो पूछते हैं हमसे,
हमारी दिवानगीका राज़...
अब कैसे बताये उन्हे,
उन्हीसे हमे इश्क़ हुवा हैं...!
7329सुबहे-इशरत शामे-गमके बाद,आती हैं नजर...
राज़ यह समझा हैं,मैंने जाके जिन्दानोंके पास...अलम मुजफ्फरनगरी
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एक राज़की बात बताये,
किसीको बताना नहीं...!
इस दुनियामें अपने सिवा,
कुछ भी अपना नहीं होता...!!!