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28 March 2021

7326 - 7330 इश्क़ कागज जिन्दगी मौत दुनिया दिवानगी राज़ शायरी

 

7326
हर राज़ लिखा नहीं जाता...
कागज भी गद्दार होता हैं.......

7327
मौत हैं वह राज़ जो,
आखिर खुलेगा एक दिन;
जिन्दगी हैं वह मुअम्मा,
कोई जिसका हल नहीं...ll
अफसर मेरठी

7328
वो पूछते हैं हमसे,
हमारी दिवानगीका राज़...
अब कैसे बताये उन्हे,
उन्हीसे हमे इश्क़ हुवा हैं...!

7329
सुबहे-इशरत शामे-गमके बाद,
आती हैं नजर...
राज़ यह समझा हैं,
मैंने जाके जिन्दानोंके पास...
अलम मुजफ्फरनगरी

7330
एक राज़की बात बताये,
किसीको बताना नहीं...!
इस दुनियामें अपने सिवा,
कुछ भी अपना नहीं होता...!!!