6366
दवा दो, दुआ दो,
या सब कुछ वार दो;
कुछ मर्ज ठीक नही होते,
अगर प्यार न दो.......!
6367
वो ज़हर देते
तो,
सबकी निगाहमें आ जाते...
तो यूँ किया
कि मुझे,
वक्तपें दवा
ना दी.......
अख्तर निजामी
6368
जिन्दगीने मेरे मर्जका,
एक बढ़िया इलाज बताया...
वक्तको दवा कहा और,
ख्वाहिशोंका परहेज बताया...
6369
दुआ और दवासे,
क्या फ़ायदा होगा...
जिसने इश्क़का,
मर्ज पाल रखा
हो...!
6370
ना कर तू इतनी कोशिशें,
मेरे दर्द को समझनेकी...
पहले इश्क़ कर, फिर चोट खा,
फिर लिख दवा
मेरे दर्दकी.......!