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25 March 2019

4041 - 4045 उम्मीद इंसानियत याद किस्सा साथ तस्वीर हौसले जहर तकलीफ शायरी


4041
तू गिरा,  तेरी उम्मीदोके मिनार गिरे,
पर लोग तुझे गिरानेमें कई बार गिरे;
सवाल जहरका नही था, वो तो तू पी गया,
तकलीफ लोगोंको तब हुई, जब तू जी गया...!

4042
वो बुलंदियाँ भी किस कामकी जनाब,
की...
इंसान चढ़े और इंसानियत गिर जायें.......

4043
याद करके मुझे,
तकलीफ ही होती होगी...
एक किस्सा हूँ पुराना सा,
भुला दे मुझको...

4044
अपने वह नहीं होते,
जो तस्वीरमें साथ खड़े हो;
अपने वह होते हैं,
जो तकलीफमें साथ खड़े हो...!

4045
ये हौसले भी,
किसी हकीमसे कम नहीं होते हैं...
हर तकलीफको ताक़द बना देते हैं...!