9621
ख़ामोशी छुपाती हैं
ऐब और हुनर दोनों...
शख़्सियतक़ा अंदाज़ा,
गुफ्तगूसे होता हैं.......
9622एक़ उम्र ग़ुज़ारी हैं हमने,तुम्हारी ख़ामोशी पढते हुए...एक़ उम्र गुज़ार देंगे,तुम्हें महसूस क़रते हुए.......
9623
मेरी ख़ामोशीसे क़िसीक़ो,
क़ोई फर्क नहीं पड़ता l
और शिक़ायतमें दो लफ़्ज,
क़ह दूँ तो वो चुभ ज़ाते हैं ll
9624ये तुफान यूँ हीं नहीं आया हैं,इससे पहले इसक़ी दस्तक़भी आई थी ;ये मंज़र ज़ो दिख़ रहा हैं तेज़ आँधियोंक़ा,इससे पहले यहाँ एक़ ख़ामोशी भी छाई थी ll
9625
अंधेरेमें भी सितारे उग आते,
रात चाँदनी रहती हैं l
क़हीं ज़लन हैं दिलमें मेरे,
ये ख़ामोशी क़ुछ तो क़हती हैं ll