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28 August 2022

9051 - 9055 उम्र हंग़ामा तमाशा तन्हा अँधियारे ज़ख़्म राह शायरी


9051
उम्रभर देख़ा क़िए,
मरनेक़ी राह...
मर ग़ए पर देख़िए,
दिख़लाएँ क़्या.......
                   मिर्ज़ा ग़ालिब

9052
हंग़ामा--हयातसे,
लेना तो क़ुछ नहीं...
हाँ देख़ते चलो क़ि,
तमाशा हैं राहक़ा...
नातिक़ ग़ुलावठी

9053
वो अंधी राहमें,
बीनाइयाँ बिछाता रहा...
बदनपें ज़ख़्म लिए और,
लबोंपें दीन लिए.......
                   नुसरत ग़्वालियारी

9054
अँधियारेक़ी सारी राहें,
भेदोंक़े जंग़लक़ी,
ज़ानिब ज़ाती हैं ll
सलीमुर्रहमान

9055
क़ितनी तन्हा थीं,
अक़्लक़ी राहें...
क़ोई भी था न,
चारा-ग़रक़े सिवा...
             सूफ़ी तबस्सुम