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1 July 2017

1456 - 1460 जिंदगी दिन सामना हौसला तन्हाई अंगार सुलग दुश्मन यार मुस्कुरा जलन शायरी


1456
जिंदगीमें कभी किसी,
बुरे दिनसे सामना हो जाए...
तो इतना हौसला ज़रूर रखना कि,
दिन बुरा था, जिंदगी नहीं...!

1457
"काँटोसी चुभती हैं तन्हाई,
अंगारोंसी सुलगती हैं तन्हाई,
कोई आकर हम दोनोंको ज़रा हँसा दे,
मैं रोता हूँ तो रोने लगती हैं तन्हाई l

1458
सिर्फ साँसें चलते रहनेको ही,
ज़िंदगी नहीं कहते.....!
आँखोंमें कुछ ख़्वाब और
दिलमें उम्मीदें होना भी ज़रूरी हैं.......!

1459
आज एक दुश्मनने,
मेरे गले लगके कहां,
यार...
इतना मत मुस्कुराया कर,
बहुत जलन होती हैं...

1460
एहसास थकाँनका मुझे,
पलभर नहीं होता;
रास्तेमें अगर...
मीलका पत्थर नहीं होता...!