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10 October 2016

611 कब्र मिटटी हाथ सोच गुरुर शायरी


611

Gurur, Egoism

कब्रकी मिटटी हाथमें लिए ,
सोच रहा हूँ,
जब लोग मरते हैं,
तो गुरुर कहां जाता हैं...
                                 ग़ालिब

Thinking of,
Holding the Sand of Grave,
Where the Egoism goes,
When people Die...
Ghalib