Showing posts with label क़िस्मत इल्ज़ाम दर्द ग़म याद उम्र ख़ोज़ राहें शायरी. Show all posts
Showing posts with label क़िस्मत इल्ज़ाम दर्द ग़म याद उम्र ख़ोज़ राहें शायरी. Show all posts

12 May 2022

8606 - 8610 क़िस्मत इल्ज़ाम दर्द ग़म याद उम्र ख़ोज़ राहें शायरी

 

8606
मेरी क़िस्मतमें,
सही दर्द--अलमक़ी राहें...
शादमानीक़ो क़हीं,
याद क़रूँ या क़रूँ.......
               अज़मत अब्दुल क़य्यूम ख़ाँ

8607
क़ुछ और फैल ग़ईं,
दर्दक़ी क़ठिन राहें...
ग़म--फ़िराक़क़े मारे,
ज़िधरसे ग़ुज़रे हैं.......
सूफ़ी तबस्सुम

8608
ख़ुली हुई हैं ज़ो क़ोई,
आसान राह मुझपर;
मैं उससे हटक़े,
इक़ और रस्ता बना रहा हूँ...!
                            अंज़ुम सलीमी

8609
मैं ऐसी राहपें निक़ला क़ि,
मेरी ख़ुशबख़्ती.......!
तमाम उम्र मिरी ख़ोज़में,
भटक़ती रही.......!!!
मक़बूल आमिर

8610
मत पूछ क़ि हम ज़ब्तक़ी,
क़िस राहसे ग़ुज़रे...
ये देख़ क़ि तुझपर,
क़ोई इल्ज़ाम आया.......!
                             मुस्तफ़ा ज़ैदी