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17 September 2016

555 कोशिश टूटा बिखर संभल बेहिसाब शायरी


555

Behisaab, In-numerously

कोशिश भी मत करना,
मुझे संभलनेकी अब तुम,
बेहिसाब टूटा हूँ,
जी भरके बिखर जाने दो मुझे

Do not even Try to,
Protect me any more,
I have Broken In-numerously,
Let me get scattered wholeheartedly...