5936
ग़म देकर तुमने
खता की,
ऐ सनम तुम
ये न समझना;
तेरा दिया हुआ
ग़म भी,
हमें दवा ही
लगता हैं !
5937
अगर वो पूछले
हमसे,
कहो किस बात
का ग़म हैं...?
तो फिर किस
बात का ग़म
हैं...?
अगर वो पूछले
हमसे.......!
5938
बाज़ार बड़ा मंदा
हैं साहाब,
ख़ुशी की किल्लत
हैं
और.......
ग़म कोई ख़रीद
नहीं रहा l
5939
अब तो मेरी
आँखमें, एक अश्क
भी नहीं,
पहलेकी बात और
थी, ग़म था
नया नया...
मेरे कमरेमें अँधेरा नहीं
रहने देता,
आपका ग़म मुझे
तन्हा नहीं रहने
देता...
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अपनी तबाहियोंका मुझे,
ग़म तो हैं
मगर...
तुमने किसीके साथ,
मोहब्बत
निभा तो दी.......