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28 May 2020

5936 - 5940 खता सनम दवा बात आँख अश्क बात तन्हा तबाही मोहब्बत ग़म शायरी



5936
ग़म देकर तुमने खता की,
सनम तुम ये समझना;
तेरा दिया हुआ ग़म भी,
हमें दवा ही लगता हैं !

5937
अगर वो पूछले हमसे,
कहो किस बात का  हैं...?
तो फिर किस बात का  हैं...?
अगर वो पूछले हमसे.......!

5938
बाज़ार बड़ा मंदा हैं साहाब,
ख़ुशी की किल्लत हैं
और.......
ग़म कोई ख़रीद नहीं रहा l

5939
अब तो मेरी आँखमें, एक अश्क भी नहीं,
पहलेकी बात और थी,  था नया नया...
मेरे कमरेमें अँधेरा नहीं रहने देता,
आपका ग़म मुझे तन्हा नहीं रहने देता...

5940
अपनी तबाहियोंका मुझे,
ग़म तो हैं मगर...
तुमने किसीके साथ,
मोहब्बत निभा तो दी.......