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22 May 2019

4286 - 4290 ख्याल आदत इंतज़ार दर्द जुर्म कुबूल आँख लब जिस्म रूह हकीकत इबादत इश्क़ शायरी


4286
रहना यूँ तेरे ख्यालोमें,
ये मेरी आदतसी हैं...
कोई कहता हैं इश्क़,
कोई कहता हैं इबादतसी हैं...

4287
इंतज़ार करना ही पड़ता हैं जनाब...
इश्क़ कोई छोटी चीज़ नहीं होती.......!

4288
तैयार हैं तेरे इश्क़में,
हर दर्द सहनेको हम...
तू जुर्म तो कर,
मुझे अपना कुबूल करनेका...!

4289
शायरी उसीके लबोंपर,
सजती हैं यारों...
जिसकी आँखोंमें,
इश्क़ पलता  हैं...!

4290
जिस्मसे रूह तक,
जाए तो हकीकत हैं इश्क़;
और रूहसे रूह तक जाए,
तो इबादत हैं इश्क़.......!