Showing posts with label गहरा खयाल ग़ज़ल बात लफ्ज़ जनाजा खोना नाराज कोशिश चर्चा शायरी. Show all posts
Showing posts with label गहरा खयाल ग़ज़ल बात लफ्ज़ जनाजा खोना नाराज कोशिश चर्चा शायरी. Show all posts

25 May 2018

2791 - 2795 गहरा खयाल ग़ज़ल बात लफ्ज़ जनाजा खोना नाराज कोशिश चर्चा शायरी


2791
लिखना हैं कुछ मुझे भी,
गहरासा फ़राज़ l
जिसे पढ़े कोई भी...
समझ बस तुम जाओ.......!

2792
ग़ज़ल भी मेरी हैं,
पेशकश भी मेरी हैं;
मगर लफ्ज़ोमें छुपके जो बैठी हैं,
वो बात तेरी हैं.......!

2793
वाह् फ़राज़ बड़ी जल्दी,
खयाल आया हमारा।
बस भी करो अब चूमना...
उठने भी दो अब जनाजा मेरा.......!

2794
सुना था... कुछ पानेके लिए,
कुछ खोना पड़ता हैं
पता नहीं... मुझे खोकर,
उसने क्या पाया.......!

2795
कोशिश कर,
खुश सभीको रखनेकी,
कुछ लोगोंकी नाराजगी भी जरूरी हैं,
चर्चामें बने रहनेके लिए ।।