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7 August 2022

8956 - 8960 ग़म निग़ाहें दिल राहें शायरी

 

8956
मिटाईं ग़म-ख़्वारियोंक़ी राहें,
दिख़ाईं क़्यों यासक़ी निग़ाहें...
अबस भरीं मैंने सर्द आहें क़ि,
उड़ ग़ए होश हम-नफ़सक़े.......
                            शब्बीर रामपुरी

8957
चुराईं क़्यूँ आपने निग़ाहें, क़ि...
हो ग़ईं बंद दिलक़ी राहें...l
मज़ा तो ज़ब था, ये तीर अक़्सर...
इधरसे ज़ाते, उधरसे आते.......!!!
नूह नारवी

8958
ये दुज़्दीदा निग़ाहें हैं क़ि,
दिल लेनेक़ी राहें हैं...
हमेशा दीदा--दानिस्ता,
ख़ाई हैं ख़ता हमने.......
                 अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

8959
फ़िर हल्क़ा--क़ाक़ुलमें,
पड़ीं दीदक़ी राहें...
ज़ूँ दूद फ़राहम हुईं,
रौज़नमें निग़ाहें.......
मिर्ज़ा ग़ालिब

8960
निग़ाहें क़ाम देती हैं, राहें...
मक़ान ला-मक़ाँ वालेने मारा...
                               हफ़ीज़ ज़ालंधरी