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13 October 2016

625 गुनाह हिसाब कलम लिख तक़दीर शायरी


625

तक़दीर, Fate

तू मुझसे मेरे गुनाहोंका हिसाब,
ना मांग मेरे खुदा;
मेरी तक़दीर लिखनेमें,
कलम तेरी ही चली हैं...

Do not ask for the Justification,
Oh my God ;
In Writting my Fate,
Your Pen was in Action...