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13 September 2017

1731 - 1735 मोहब्बत इश्क ज़िंदगी प्यार ऐतबार बात वादा जुल्म मुस्कुरा रुला शिकवें शिकायतें शायरी


1731
ज़िंदगीको प्यार हम आपसे ज्यादा नहीं करते,
किसीपें ऐतबार आपसे ज्यादा नहीं करते,
आप जी सके मेरे बिन तो अच्छी बात हैं,
हम जी लेंगे आपके बिन ये वादा नहीं करते।।

1732
मुस्कुरानेसे शुरू और
रुलानेपें खतम...।
ये वो जुल्म हैं... जिसे लोग,
मोहब्बत कहते हैं...

1733
कितना अच्छा होता अगर,
जितनें शिकवें शिकायतें करते हो तुम,
काश...
उतनी मोहब्बत करते हमसे .......!

1734
मेरी चाहतकी, तू आजमाइश ना कर ।
ये इश्क हैं इबादत, तू नुमाइश ना कर।।
रहने दे ये भ्रम, के तू साथ हैं हमेशा।
भूल जाऊँ मैं तुझे, तू फरमाइश ना कर।।

1735
खता उनकी भी नहीं यारों...
वो भी क्या करते,
बहुत चाहने वाले थे,
किस - किससे वफ़ा करते...