1836
कुछ लम्हे गुजारे,
तूने मेरे साथ,
तुम उन्हें वक्त कहते हो,
और हम उन्हें जिंदगी कहते हैं !
1837
हमने गुज़रे हुए लम्होंका,
हवाला जो दिया...
हँसके वो कहने लगे,
रात
गई बात गई . . .
1838
अगर मेरी चाहतोंके मुताबिक,
जमानेमें हर बात होती,
तो बस मैं होता वो होती,
और सारी रात बरसात होती...!
1839
तुम जिस रिश्तेसे,
आना चाहो, आ जाना,
मेरे चारो तरफ,
मोहब्बत ही मोहब्बत हैं...
1840
सुखे पत्तेसे प्यार कर लेंगे,
तुम्हारा ऐतबार कर लेंगे,
तुम ये तो कहो की हम तुम्हारे हैं,
हम जिन्दगीभर इन्तजार कर लेंगे...