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27 February 2017

1018 चुप-चाप सफ़र हयात नज़र गुमराह शायरी


1018
चुप-चाप चल रहे थे,
सफ़र-ए-हयातमें...,
फिर तुमपर नज़र पड़ी,
तो गुमराह हो गए...!