10036
आ कि मैं देख लूँ,
खोया
हुआ चेहरा अपना...
मुझसे छुपकर,
मुझसे छुपकर,
मिरी
तस्वीर बनाने वाले...!
अख़्तर सईद ख़ान
अख़्तर सईद ख़ान
10037
पहले तो तस्वीर बनाती हूँ तेरी,
फिर तेरी तस्वीरमें खोई रहती हूँ !
रेशमा ज़ैदी
10038
गरमा सकीं न चाहतें,
तेरा कठोर जिस्म l
हर इक जलके बुझ गई,
तस्वीर संगमें...ll
मुसव्विर सब्ज़वारी
10039
चार-सू फैला
हैं,
अब तो एक
बस फ़ुर्क़तका रंग
;
अब तलक यक-रंग तस्वीर-ए-जहाँ,
ऐसी न थी
ll
अमित गोस्वामी
10040
बे-साख़्ता पहरों ही,
कहा करते हैं क्या क्या..
हम होते हैं और होती हैं,
तस्वीर किसीकी...
निज़ाम रामपुरी