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13 June 2023

9561 - 9565 ज़बाँ आहट ज़ज़्बा इश्क़ राज़ बेचैन ख़ामोशी शायरी

 
9561
ख़ामोशीमें चाहे,
ज़ितना बेगाना-पन हो...
लेक़िन इक़ आहट,
ज़ानी-पहचानी होती हैं...!
                     भारत भूषण पन्त

9562
मोहब्बतेंमें नुमाइशक़ी,
ज़रूरत नहीं होती...l
ये तो वो ज़ज़्बा हैं ज़िसममें,
ख़ामोशी भी गुनगुनाती हैं.....ll

9563
ख़ामोशीक़ा राज़ ख़ोलना भी सीख़ो...
आँख़ोक़ी ज़बाँसे बोलना भी सीख़ो...

9564
मोहब्बत नहीं थी तो,
एक़ बार समझाया तो होता...l
नादान दिल तेरी ख़ामोशीक़ो,
इश्क़ समझ बैठा.......ll

9565
हमारी मोहब्बत ज़रूर,
अधूरी रह गयी होगी पिछले ज़न्ममें...!
वरना इस ज़न्मक़ी तेरी ख़ामोशी,
मुझे इतना बेचैन क़रती.......!!!