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12 May 2021

7546 - 7550 ज़िंदगी आरज़ू ख़्वाब हादसे हयात ज़ीना सिलसिला मौत शायरी

 

7546
क़ैसे बताऊँ क़्या हुई,
ज़ीनेक़ी आरज़ू...
एक़ हादसेमें आप अपनी,
मौत मर गई.......

7547 
ख़ाक़ और ख़ूनसे,
इक़ शम्अ ज़लाई हैं नुशूर...
मौतसे हमने भी सीख़ी हैं,
हयात-आराई.......
            नुशूर वाहिदी
7548
मुझे मौतसे डरा मत,
बार मर चुक़ा हूँ...!
क़िसी मौतसे नहीं कम,
क़ोई ख़्वाब टूट ज़ाना...!!!

7549
अपने ही दिलक़े आग़में,
शम्अ पिघल गई...
शम्म--हयात मौतक़े,
साँचेमें ढल गई.......
असर लख़नवी

7550
ज़िंदगी  हादसा हैं,
और क़ैसा हादसा...
मौतसे भी ख़त्म ज़िसक़ा
,
सिलसिला होता नहीं.......