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23 May 2020

5906 - 5910 ज़िक्र याद वक़्त इज़हार मुस्कान तौहीन मोहब्बत तमन्ना शायरी



5906
उनका ज़िक्र उनक़ी तमन्ना,
उनक़ी याद.......
वक़्त कितना क़ीमती हैं,
आज कल.......
                         शकील बदायुनी

5907
इज़हार--तमन्नाही,
तौहीन--तमन्ना हैं;
तुम खुदही समझ जाओ,
मैं नाम नहीं लूँगा ll

5908
तुम्हारी मुस्कानसे,
शुरू हुई थी हमारी कहानी...!
सदा मुस्कुराते रहना,
यही आखरी तमन्ना हैं हमारी...!!!

5909
तमन्ना थी क़ी वो भी,
मुझे मेरी तरह चाहे...
पर तमन्ना थी इसलिये,
तमन्ना ही रह गयी.......

5910
पानेक़ी तमन्ना नहीं रही,
मोहब्बत तो,
आज भी तुमसे,
बेशुमार करते हैं.......