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8 March 2017

1057 ज़िन्दगी पढ़ कमबख्त पन्ना शायरी


1057
ज़िन्दगी…
जब भी लगा कि तुझे पढ़ लिया...
"कमबख्त तुने ज़िन्दगीका
एक और पन्ना खोल दिया...!"