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25 April 2019

4181 - 4185 जिंदगी अरमान शिकवा इंतजार जवाब बातें सौदा लफ्ज आँख भरोसा धोखा खामोशी शायरी


4181
अरमान था तेरे साथ जिंदगी बितानेका,
शिकवा हैं खुदके खामोश रह जानेका;
दीवानगी इससे बढकर और क्या होगी,
अज भी इंतजार हैं तेरे आनेका...

4182
रहने दे कुछ बातें,
यूँ ही अनकहीसी...
कुछ जवाब तेरी मेरी,
खामोशीमें अटके ही अच्छे हैं...!

4183
खामोशियोंसे मिल रहे हैं,
खामोशियोंके जवाब...
अब कैसे कहे की मेरी,
उनसे बातें नही होती.......!

4184
तुम भी खामोश,
हम भी खामोश...
लफ्जोका सौदा,
अब आँखोंसे होने लगा हैं...

4185
मुझे खामोश़ देखकर इतना,
क्यों हैरान होते हो...
कुछ नहीं हुआ हैं बस,
भरोसा करके धोखा खाया हैं...