6911
गमके बादल बहुत घने थे,
आँखे मेरी अश्क़ तेरे थे,
पथरायी आँखोंमें सपने,
पत्थर जैसेही दिखते थे ll
6912ये ख़्यालोंकी बदहवासी हैं,या तेरे नामकी उदासी हैं,अश्क़ चेहरेके मरुस्थलमें हैं,आँख पानीके घरमें प्यासी हैं ll
6913
मोतीही थे, जबतक...
निगाहोंमें थे !
गिरतेही जमींपर,
अश्क़ हो गए...!
6914कितने नाज़ोंसे यूँ,पलकोंपें बिठा रखे हैं..आँखोंने अश्क़भी,मोतीसे सजा रखे हैं...
6915
उल्फ़त, मोहब्बत, वफ़ा,
अश्क़, अफ़साने...
लगता हैं वो आया ही था,
जिंदगीमें
सिर्फ उर्दू सिखाने.......!