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जिंदगी कदम समझौता शौक मरमर शायरी.
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जिंदगी कदम समझौता शौक मरमर शायरी.
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"जिंदगी
तुझसे हर कदमपर,
समझौता क्यों
किया जाए...
शौक जीनेका
हैं मगर,
इतना
भी नहीं,
की मरमरके जिया जाए..."