Showing posts with label जिंदगी बेवफा बिछड़ समेट जला सूखे पत्ते शायरी. Show all posts
Showing posts with label जिंदगी बेवफा बिछड़ समेट जला सूखे पत्ते शायरी. Show all posts

22 October 2016

656 जिंदगी बेवफा बिछड़ समेट जला सूखे पत्ते शायरी


656

Sookhe Patte, Dry Leaves

उनसे बिछड़कर,
सूखे पत्तेकी तरह करली जिंदगी,
बेवफा ने ये जानकर,
मुझे समेटकर फिर जला दिया...

Being Apart from Her,
Made Life like Dry Leaves,
Knowing this, The Disloyal,
Gathered me and then Burnout...