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20 August 2019

4631 - 4635 जिंदगी रिश्ते फर्क नतीजे दगाबाज इत्तेफ़ाक गुस्सा सच्चे मुस्कुरा शायरी


4631
जरा मुस्कुराना भी सीखा दे,
जिंदगी...
रोना तो पैदा होते ही,
सिख लिया था...

4632
मुस्कुराकर देखने और,
देखकर मुस्करानेमें बड़ा फर्क हैं;
नतीजे बदल जाते हैं,
और कभी कभी रिश्ते भी...!

4633
अपनी उदासियोमें,
ढूंढ लेना मुझे।
ये मुस्कुराहटे तो,
दगाबाज होती हैं।।

4634
शब्दोंके इत्तेफ़ाकमें,
यूँ बदलाव करके देख...
"तू देख कर मुस्कुरा,
बस मुस्कुराके देख"...!

4635
जिन्हें गुस्सा आता हैं,
वो लोग सच्चे होते हैंl
मैने झूठोंको अक्सर,
मुस्कुराते हुए देखा हैं...