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7 July 2017

1481 - 1485 इश्क दिल जमाने नज़र अकड़ मोम सीख शख्स आदत लूट चोर मुकदमा मसीहा शायरी


1481
जमानेकी नज़रमें,
अकड़के चलना सीखले दोस्त...!
मोमका दिल लेकर चलोगे...
तो लोग जलाते रहेंगे...!

1482
छोड तो सकता हूँ मगर...
छोड नहीं पाते उसे l
वो शख्स.......
मेरी बिगडी आदतकी तरह हैं !

1483
जाने किस किसको लूटा हैं,
इस चोरने मसीहा बनकर...
के आओ सब मिलकर,
इश्कपें मुकदमा कर दे......

1484
अगर रेतमें लिखा होता,
तो मिटा भी देते...
उन्होने तो दिलकी,
दहलीज़पर क़दम रख़ा हैं...

1485
बेवजह ही आए वो,
मेरी जिन्दगीमें...
पर वजह बन गये हैं,
जिन्दगी जीनेकी...!