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26 July 2016

432 जुबाँ फिक्र खामोशी बोल छोड़ मुश्किल शायरी हैं हीं हां में मैं पें याँ आँ हूँ हाँ हें


432

Mushkil, Difficulty

"जुबाँ भी बोले तो,
मुश्किल नहीं...
फिक्र तब होती हैं जब,
खामोशी भी बोलना छोड़ दें...

There is no Difficulty,
When Tongue stops speaking...
I am Worried when,
Your Speechlessness stops Communicating...