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9 May 2018

2711 - 2715 प्यार दिल बेकरार ज़िन्दगी आँख जज़्बात ख्वाब कमज़ोरकी जुदाई धड़कन प्यास होंठ सुकून दीवाने शायरी


2711
कमी तो होनी ही हैं,
पानीकी शहरमें.......
किसीकी आँखमें बचा हैं,
किसीके जज़्बातमें...!

2712
रोज जले फिर भी
ख़ाक हुए...
अजीब हैं कुछ ख्वाब,
जो जलके भी राख हुए...

2713
कुछ चीज़ें
कमज़ोरकी हिफाज़तमें भी महफूज़ हैं,
जैसे मिट्टीकी गुल्लकमें,
लोहेके सिक्के.......!

2714
काश यह जालिम जुदाई होती !
खुदा तूने यह चीज़ बनायीं होती !
हम उनसे मिलते प्यार होता !
ज़िन्दगी जो अपनी थी वो परायी होती !!!

2715
बेवजह हम वजह ढूंढ़ते हैं,
तेरे पास आनेको;
ये दिल बेकरार हैं,
तुझे धड़कनमें बसानेको;
बुझी नहीं प्यास,
इन होंठोंकी अभी;
जाने कब मिलेगा सुकून,
तेरे इस दीवानेको।